MONTHLY BULLETIN OF CITY MONTESSORI SCHOOL, LUCKNOW, INDIA

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April 2019

Letter to us President

Dr Jagdish Gandhi addressing a Press Conference in New Delhi

राष्ट्रपति श्री डोनाल्ड ट्रम्प
राष्ट्रपति, संयुक्त राज्य अमेरिका
व्हाइट हाउस, वाशिंग्टन डी0सी0 20500, यू0एस0ए0

अब वह वक्त आ गया है कि आप विश्व नेताओं की एक बैठक बुलाकर विश्व को एकजुट करें और यूरोपीय संसद की तरह एक विश्व संसद (ग्लोबल डेमोक्रेसी) की स्थापना करें, जो कि सम्प्रभुत्व देशों का एक संघ है और जिससे यूरोपीय एकता व शान्ति का सबका सपना और सबका लक्ष्य पूरा हो रहा है। प्रेसीडेन्ट हैरी ट्रूमैन ने इसे एक व्यवहारिक रूप में परिवर्तित किया, जिन्होंने मार्शल प्लान के अन्तर्गत 13 मिलियन यू.एस. डाॅलर देकर यूरोप को एक किया।

आदरणीय राष्ट्रपति श्रीमान ट्रम्प,

सिटी मोन्टेसरी स्कूल के 55,000 से अधिक बच्चों की ओर से आपको हार्दिक शुभकामनाएँ। आदरणीय राष्ट्रपति ट्रम्प, इससे पहले तीन अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने विश्व को एक करने का बीड़ा उठाया था। अब आपकी बारी है कि आप एक वैश्विक प्रजातन्त्र (विश्व संसद) की स्थापना करें।

1. यदि आप विश्व के सभी राष्ट्राध्यक्षों की एक बैठक बुलाते हैं व इन तीन महान अमेरिकी राष्ट्रपतियों के पद्चिन्हों पर चलते हैं, तो आप विश्व में सदैव के लिए अमर हो जायेंगे: (1) राष्ट्रपति वुडरो विल्सन, (2) राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट तथा (3) राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन, जो मानव जाति को बचाने के लिए आगे आए और दुनिया को एकजुट करने के लिए पहल करके मानव इतिहास को बदल दिया

1. अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन - राष्ट्र संघ (लीग आॅफ नेशन्स)

1919 में, प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने पेरिस शांति सम्मेलन में विश्व नेताओं की एक बैठक बुलाने की पहल की जिसके कारण ‘राष्ट्र संघ’ का गठन हुआ जिसकी पहली बैठक पेरिस (फ्रांस) में हुई। यद्यपि अमरीका ने राष्ट्र संघ की सदस्यता नहीं ली, किन्तु उसकी इस पहल से दो दशकों तक युद्धों को टाला जा सका।

यदि अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने विश्व के सभी सम्प्रभुत्व देशों की बैठक न बुलाई होती, तब किसी अन्य विश्व नेता ने ऐसा किया होता?

2. अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैन्कलिन डी रूजवेल्ट - संयुक्त राष्ट्र संघ

सन् 1945 में, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैन्कलिन डी रूजवेल्ट ने पहल की व विश्व नेताओं/ राष्ट्राध्यक्षों की एक बैठक बुलाने का निर्णय लिया, जिसकी वजह से 24 अक्टूबर, 1945 के दिन संयुक्त राष्ट्र संघ (यू.एन.ओ.) का गठन हुआ, जिसमें केवल 51 सम्प्रभुत्व देशों ने हस्ताक्षर किये थे। आज 193 देश संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य हैं।

यदि अमेरिकी राष्ट्रपति श्री फ्रैन्कलिन डी रूजवेल्ट ने सम्प्रभुत्व देशों की यह बैठक नहीं बुलाई होती, तो दुनिया का क्या हश्र होता?

संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन विश्व के 51 सम्प्रभुत्व देशों के एकजुट होने से सम्भव हो सका, जिन्होंने यह ऐलान किया कि ‘‘हम, संयुक्त राष्ट्र संघ के लोग, आगे आने वाली पीढ़ियों को युद्ध की विभीषिका से बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसके कारण हमारे जीवनकाल में दो बार मानवजाति को असहनीय दुःखों का सामना करना पड़ा है।’’

यदि अमेरिकी राष्ट्रपति श्री फ्रैन्कलिन डी. रूजवेल्ट ने यह पहल न की होती तो विश्व का कैसा भाग्य होता?

3. अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन: यूरोपीय यूनियन

अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन ने पश्चिमी यूरोप में मार्शल प्लाॅन लागू किया। इसके लिए उन्होंने अमेरिका की ओर से 13 बिलियन अमेरिकी डाॅलर दिए जिसका मूल्य आज 140 बिलियन अमेरिकी डाॅलर है। उन्होंने एक संयुक्त यूरोप की आधारशिला रखी जिससे यूरोपीय यूनियन का जन्म हुआ। इस यूरोपीय संसद में 28 देश हैं और इनमें यूरो करेन्सी (मुद्रा) चलती है, जिसे 18 देशों ने अपनाया है। इस एकीकरण प्रयास के बीच में है यूरोपीय यूनियन का न्यायालय ;ब्वनतज व िश्रनेजपबमद्ध इसके गठन के समय से यूरोपीय यूनियन ने युद्धों को रोकने में सफलता पाई है और यह कई शत्रु देशों के बीच सम्भव हुआ है जिससे यूरोप में स्थायी शान्ति स्थापित की जा सके। यदि अमरीकी राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन ने यूरोप के सम्प्रभुत्व देशों की मीटिंग न बुलाई होती तो यूरोप की स्थिति कैसी होती?

2. इसी प्रकार सम्प्रभुत्व देशों का एक विश्व संघ बनाया जा सकता है, जिसमें प्रत्येक देश की सम्प्रभुता कायम रहती है, साथ ही साथ अन्य सम्प्रभुत्व देशों के साथ एक वैश्विक प्रजातंत्र (ग्लोबल डेमोक्रेसी) का भी हिस्सा होता है। यूरोपीय संसद की ही भांति इस विश्व संसद में एक विश्व मुद्रा (World Currency) हो व एक विश्व न्यायालय (World Court of Justice) हो।

3. राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन ने कहा है: ‘‘मनुष्य इतिहास की रचना करते हैं और जब-जब नेतृत्व की कमी होती है तब समाज रूक जाता है। प्रगति तभी होती है जब कुशल लीडर्स नेतृत्व लेते हैं और स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए पहल करते हैं।’’ राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन राष्ट्रपति वुडरो विल्सन से प्रेरित थे, जब उन्होंने यह शब्द कहे थे। राष्ट्रपति वुडरो विल्सन एक साहसी नेता थे जिन्होंने अवसर का लाभ उठाते हुए पेरिस शांति सम्मेलन में विश्व नेताओं की एक बैठक बुलाई जिसमें केवल 42 देशों ने प्रतिभाग किया और इन्हीं की सहमति से राष्ट्र संघ का गठन हुआ। इसके लिए उनको अपने देश में काफी विरोध का सामना करना पड़ा, जैसा कि आपको इस समय करना पड़ रहा है किन्तु उन्होंने सिनेट के विरूद्ध जाकर भी साहस के साथ बैठक बुलाई। अमेरिका राष्ट्र संघ में शामिल नहीं हुआ क्योंकि सीनेट ने इसे मंजूरी नहीं दी। फिर भी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन आगे बढ़े और विश्व एकता और विश्व शांति के लिए विश्व नेताओं की बैठक बुलाई और प्रथम विश्व युद्ध को बढ़ने से रोक दिया। उनके कार्यों ने उन्हें अमर बना दिया और दुनिया उन्हें मानव जाति के मसीहा के रूप में याद करती है।

4. मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप राष्ट्रपति वुडरो विल्सन से भी अधिक कर सकते हैं।

समय का चक्र घूम गया है और आज आप भी अपने सिनेट में अपने कार्यों के लिए विरोध का सामना कर रहे हैं। जैसा कि राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने 100 वर्ष पूर्व अपने समय में किया था। आपके कदम अमेरिका के हित में है व अमेरिका की आगे आने वाली पीढ़ियों के हित में है। हमारा मानना है कि ‘‘हमारे पास जितनी दुःख व तकलीफें होंगी, उतनी ही दृढ़ता हमारे इरादों में होनी चाहिए और उतना ही अधिक हमें ईश्वर का आशीर्वाद व उसके होने के सबूत मिलेंगे’’ (अब्दुल बहा ने अपने पिता बहाउल्लाह के वचनों को समझाते हुए कहा है।) राष्ट्रपति जी, आप ईश्वर को मानने वाले व्यक्ति हैं, जब आप पोप से मिले (जो धरती पर ईश्वर के प्रतिनिधि हैं) और आपने उनका आशीर्वाद लिया, तब उन्होंने एक आॅलिव ट्री (शान्ति के वृक्ष की टहनी) दी और कहा कि आप धरती पर शान्ति लाएँ। पोप से मिलने के उपरान्त, आपने कहा - मैं और भी दृढ़ता से विश्व में एकता व शान्ति लाना चाहता हूँ।’’

5. एक ग्लोबल डेमोक्रेसी (विश्व संसद) का गठन किया जा सकता है यदि कुछ सम्प्रभुत्व देशों के राष्ट्र अध्यक्ष व नेता एक प्रजातांत्रिक विश्व मंच पर एक ही लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एकजुट हो जाएँ और विश्व एकता व विश्व शान्ति के सपने को साकार करने के लिए मिलकर योजना बनाएँ व कार्य करें, जिससे पूरी मानवता सबके सुरक्षित व न्यायपूर्ण भविष्य की ओर आगे बढ़े, और जिससे आगे आने वाली पीढ़ियों का भविष्य भी सुरक्षित हो।

6. इसका जीता जागता उदाहरण यूरोपीय यूनियन है जिसमें एक समय युद्ध पर आमादा देशों ने भी सबकी शान्ति, उन्नति व समृद्धि के लिए मार्शेल प्लाॅन में राष्ट्रपति श्री हैरी ट्रूमेन के मार्गदर्शन में वह उपलब्धि हासिल कर ली जिसके बारे में अभी तक कोई सोच भी नहीं सकता था। यह अमेरिकी सरकार की द्वितीय विश्व युद्ध से इक्कीसवीं सदी तक की सबसे महान उपलब्धि कहलाएगी।

7. केवल एक शक्तिशाली सम्प्रभुत्व देश ही अपनी जनता व विश्व की जनता के लिए सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित कर सकता है। of अमेरिका के राष्ट्रपति बनने पर 19 सितम्बर 2017 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में आपने अपने पहले ही भाषण में कहा था कि संयुक्त राष्ट्र के हित में सभी सदस्य देश आगे आएँ व अपनी सम्प्रभुत्व को सम्मिलित करें।

8. बहाउल्लाह के बेटे अब्दुल बहा ने कहा है:- ‘‘केवल अपने तथा अपने देश के हित के कार्यों में ही व्यस्त नहीं रहंे वरन् मानव जाति के हित के बारे में भी सोचंे।’’

9. आज विश्व की सच्चाई यह है कि चारों ओर अराजकता, अविश्वास, लड़ाई-झगड़ा व भेदभाव का मौहाल है जिससे 21वीं सदी 20वीं सदी से भी अधिक खतरनाक है जो कि पहले से ही काफी युद्धग्रस्त व खून-खराबे की रही है। इससे विश्व के 7.5 बिलियन लोगों का भविष्य, जिसमें 2.5 बिलियन बच्चे भी शामिल हैं व आने वाली पीढ़ियां पिछले सात दशकों से भयभीत व असुरक्षित महसूस करती आ रही है। द्वितीय विश्व युद्ध व हाल में पनपने वाले आतंकवाद, ग्लोबल वार्मिंग, पर्यावरण प्रदुषण, भारी मात्रा में हथियारों का जमावड़ा, तृतीय विश्व युद्ध का भय व न्यूक्लियर युद्ध का भय सबको दहशत में रखे हैं।

10. भारतीय संविधान के निर्माता डा. बी.आर. अम्बेडकर ने कहा है कानून और व्यवस्था किसी भी राजनीति रूपी शरीर की औषधि है और जब राजनीति रूपी शरीर बीमार हो जाये तो हमें कानून और व्यवस्था रूपी औषधि का उपयोग राजनीति रूपी शरीर को स्वस्थ करने के लिए करना चाहिए।

11. विश्व का राजनीतिक शरीर आज बीमार है और इसलिए उसे शीघ्र ही कानून, व्यवस्था व न्याय की आवश्यकता है।

12. शान्ति के प्रयास बुरी तरह विफल हो चुके हैं क्योंकि इनमें एकता की बात ही नहीं कही गयी। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने नवंबर 2018 में पेरिस शांति सम्मेलन बुलाया था जिसमें लगभग 70 देशों ने भाग लिया था लेकिन इस पेरिस शांति शिखर सम्मेलन को सफल नहीं माना जा सकता क्योंकि दुनिया के देशों के बीच एकता और साहसी नेतृत्व का अभाव था।

13. शान्ति का फल एकता के वृक्ष पर लगता है। एकता के लिए दो चीजें जरूरी हैं। (क) एक समान चिन्ता का कारण व
(ख) एकता की डोर से जोड़ने का धागा
संसार के 2.5 बिलियन बच्चे व आने वाली पीढ़ियां जो अभी पैदा नहीं हुई हैं, उनकी सुरक्षा विश्व के सभी देशों के लिए एक समान चिन्ता का कारण है, व एक वैश्विक प्रजातंत्र (विश्व संसद) ही एक धागा है जो विश्व के 2.5 बिलियन से ऊपर बच्चों व आगे आने वाली पीढ़ियों को और पूरी मानवता को एक सूत्र में जोड़ता है।

14. आज इस बात की आवश्यकता है कि सभी सम्प्रभुत्व देश विश्व एकता के लिए एक मंच पर आएँ और तभी सफल बातचीत हो सकेगी। विश्व शान्ति का फल विश्व एकता के वृक्ष पर ही निकलता है व विश्व एकता तभी सम्भव है जब सभी सम्प्रभुत्व देश एक साथ आकर एक ही लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रजातान्त्रिक सरकार का गठन करें।

15. इतिहास राष्ट्रपति अब्राहीम लिंकन को याद करता है, जिन्होंने गृह युद्ध में भी अमेरिका को विघटन से बचाया व अमेरिका में दासता प्रथा से मुक्ति की घोषणा करके गुलामी को खत्म किया। यह भी माना जाता है कि जब अब्राहीम लिंकन को मतभेद का सामना करना पड़ता था, तो वे अपने नैतिक व कुशल नेतृत्व से अपने विरोधियों को भी अपनी ओर कर लेते थे। राष्ट्रपति लिंकन ने विश्व के देशों को प्रेरित किया वे प्रजातांत्रिक शासन प्रणाली अपनाये। जब उन्होंने अपने मशहूर गैरिसबर्ग भाषण में कहा - ‘‘प्रजातंत्र का शासन लोगों के द्वारा, लोगों का व लोगों के लिए धरती से नहीं मिटेगा।’’ और अब समय आ गया है, राष्ट्रपति ट्रम्प कि आप विश्व के नेताओं की एक मीटिंग बुलाएँ व आप ही एक वैश्विक प्रजातंत्र (विश्व संसद) का गठन करवा सकते हैं।

16. विश्व के बच्चे आज मिलकर गुहार लगा रहे हैं क्योंकि उनको अपना भविष्य अंधकारमय नजर आता है क्योंकि उनके देशों के नेताओं ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।

17. राष्ट्रपति ट्रम्प विश्व को आपका नेतृत्व चाहिये। यह इस पीढ़ी की एक अन्तर-पीढ़ी उत्तरदायित्व है कि वह आगे आने वाली पीढ़ी के लिए एक बेहतर विश्व छोड़ कर जाएँ, जैसा कि उनको बेहतर विश्व मिला था। इस वर्तमान पीढ़ी के सबसे प्रभावशाली नेता होने के कारण आपके मजबूत कंधों पर यह भारी जिम्मेदारी है कि आप विश्व के 2.5 बिलियन बच्चों व आने वाली पीढ़ियों के हित में सोचे व उनका भविष्य सुरक्षित करें।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जी के द्वारा दिये गये ऐतिहासिक वक्तव्य:

18. प्रिय राष्ट्रपति ट्रम्प, मैं आपके द्वारा किए गए वादों पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा:

  1. 15 दिसम्बर 2015 को राष्ट्रपति चुनाव के दौरान अमेरिका की जनता से आपने लास वेगास (Las Vegas, USA) में कहा था- ‘‘मेरा सोचना हैं कि मैं विश्व में एकता लाऊँगा। मंै विश्व शान्ति लाऊँगा एवं मैं विश्व एकता लाऊँगा’’।
  2. 22 मई 2017 को इजराइल दौरे के दौरान तेल अवीव (Tel Aviv) हवाई अड्डे पर आपने कहा था- ‘‘अब हम लोगों को एक साथ मिलकर कार्य करना है तथा ऐसे भविष्य का निर्माण करना है जिसमें सभी देश व क्षेत्र शान्तिपूर्वक रह सकें, और हमारे सभी बच्चे विकसित हों सकें और दृढ़ता के साथ आगे बढें़ व आतंकवाद और हिंसा से मुक्त रहंे।’’
  3. 24 मई 2017 को वेटिकन में संत पुरूष पोप (His Holiness Pope) से आपने कहा था- ‘‘मैं विश्व मंे शान्ति लाने के लिए और भी अधिक दृढ़ता से कार्य करूँगा।’’
  4. 19 सितम्बर 2017 को आपने न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र (UNO) आम सभा में कहा था- ‘सभी लेागों के लिए एक बेहतर जीवन यापन करने के लिए हम सबको मिलकर अच्छे वातावरण व एकता के साथ काम करना चाहिए, जिससे कि विश्व के सभी लोगों के लिए और भी सुरक्षित व शान्ति पूर्ण भविष्य का निर्माण हो सके।’’
  5. 26 जनवरी 2018 को आपने वल्र्ड इकोनाॅमिक फोरम, डेवोस, (Davos) स्विटजरलैण्ड में कहा था- ‘सभी लेागों के लिए एक बेहतर जीवन यापन करने के लिए हम सबको मिलकर अच्छे वातावरण व एकता के साथ काम करना चाहिए, जिससे कि विश्व के सभी लोगों के लिए और भी सुरक्षित व शान्ति पूर्ण भविष्य का निर्माण हो सके।’’
  6. 12 जून 2018 को आपने ऐतिहासिक सिंगापुर शिखर सम्मेलन में कहा था- ‘‘युद्ध तो कोई भी कर सकता है, किन्तु सबसे साहसी व्यक्ति ही शान्ति का वातावरण ला सकता है, और मैं यह करके दिखाऊँगा। विश्व सुरक्षित हो, चाहे इसके लिए कोई भी कार्य करना पड़े।’’ ‘‘जो भूतकाल में हुआ है यह जरूरी नहीं कि वह भविष्य में भी हो ...... दुश्मन भी दोस्त बन सकते हैं।’’
  7. 24 अक्टूबर 2018 को आपने मोसैनी, विस्कान्सिन, संयुक्त राज्य अमेरिका (Mosinee, Wisconsin, USA) में कहा था- ‘‘युद्ध तो कोई भी कर सकता है, किन्तु सबसे साहसी व्यक्ति ही शान्ति का वातावरण ला सकता है, और मैं यह करके दिखाऊँगा। विश्व सुरक्षित हो, चाहे इसके लिए कोई भी कार्य करना पड़े।’’ ‘‘जो भूतकाल में हुआ है यह जरूरी नहीं कि वह भविष्य में भी हो ...... दुश्मन भी दोस्त बन सकते हैं।’’

19. अमेरिका के लोगों ने आपके नेतृत्व पर पूर्ण भरोसा दिखाया है वह इस अराजक संसार मंे शान्ति व समृद्धि की आशा करते हुए व अपने बच्चों की सुरक्षा और खुशहाली के लिए विश्व एकता और विश्व शान्ति की कामना की है।

20. आदरणीय श्री ट्रम्प, कृपया महान बनें और विश्व को एक करें क्योंकि अब आपके पास 18 महीने हैं जिसमें आप विश्व को एक सूत्र में बाँध कर 7.5 बिलियन लोगों के लिए एक बेहतर दुनिया बना सकते हैं।

21. विश्व के नेताओं ने पूर्व में यह तो कहा है कि विश्व एकता की आवश्यकता है और पूर्ण नाश से बचाने का केवल यही एक रास्ता है। केवल आपने ही वादा किया है कि आप विश्व को एक करेंगे व धरती पर शान्ति स्थापित करेंगे।

22. विश्व के कुछ महान नेताओं ने कहा हैः

  1. महात्मा गाँधी ने कहा: ‘‘विश्व के भविष्य एवं विश्व में शान्ति और सुरक्षा व निरन्तर उन्नति के लिए एक स्वतंत्र देशों (Sovereign Countries) का एक विश्व संघ बनाना आवश्यक है। और इसके अतिरिक्त आधुनिक विश्व की समस्याओं को सुलझाने का कोई और उपाय नहीं है।’’

  2. ग्रेट ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विन्सटन चर्चिल ने कहाः ‘‘जब तक हम विश्व सरकार का गठन नहीं कर लेते तब तक हमारे लिए तृतीय विश्व युद्ध को रोकना संभव नहीं होगा।’’

  3. अमेरिका के राष्ट्रपति जाॅन एफ कैनेडी ने कहाः ‘‘हमें मानव जाति को महाविनाश से बचाने के लिए विश्वव्यापी कानून बनाना एवं इसको लागू करने वाली संस्था को स्थापित करना होगा और विश्व में युद्ध और हथियारों की दौड़ को विधि विरूद्ध घोषित करना होगा।’’

  4. अमेरिका के प्रेसीडेन्ट ड्वाइट् डी. आइजन हावर ने कहा: ‘‘एक ऐसा विश्व कानून होना चाहिए जिसका सभी राष्ट्र समान रूप से सम्मान करें क्योंकि बिना ऐसे विश्व कानून के, न्याय उसी प्रकार का हो जायेगा जैसे किसी शक्तिशाली द्वारा किसी कमजोर पर की गई दया’’

  5. रूस के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्वाचोव ने कहा: ‘‘किसी प्रकार की एक विश्व सरकार की जरूरत की बारे में जागरूकता तेजी से फैल रही है - एक ऐसी व्यवस्था जिसमें विश्व समुदाय के सभी सदस्य भाग लेगंे।’’

  6. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने कहा: ‘‘या तो विश्व एक हो जायेगा या नष्ट हो जायेगा।’’

माननीय राष्ट्रपति ट्रम्प महोदय, इन सभी विश्व के नेताओं ने पिछले दिनों में कहा है कि विश्व एकता की जरूरत है और यह कि मानवता को सम्पूर्ण विध्वंस से बचाने का यही एक रास्ता है। किन्तु केवल आप ने ही विश्व को एक करने का (World Unity) और धरती पर विश्व शान्ति (World Peace) स्थापित करने का वायदा किया है। आप ने यह वायदा निम्न प्रकार से किया हैः


23. माननीय राष्ट्रपति ट्रम्प महोदय, जहाँ एक ओर विश्व के सर्वोच्च नेताओं ने विश्व में एकता और विश्व शान्ति स्थापना(World Unity and World Peace) की आवश्यकता के बारे में बताया है, वहीं दूसरी ओर आप मानवता के इतिहास में विश्व के ऐसे पहले नेता हैं जिन्होंने विश्व एकता और विश्व शान्ति लाने का वचन दिया है, और कहा है कि ‘‘मैं विश्व मंे एकता World Unity) न्दपजलद्ध लाकर रहूँगा’’।

24. आपने बहुत काबलियत दिखाई है और महान अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन के कथित वचनों पर खरे उतरे हैं, जिन्होंने एक बार कहा थाः ‘‘किसी भी दुश्मन को नष्ट करने का सबसे बढ़िया तरीका है कि उसको अपना दोस्त बना लो।’’

25. टाइम मैगजीन के एक प्रश्न के उत्तर में आपने व्हाइट हाउस में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में कहाः ‘‘युद्ध तो कोई भी कर सकता है, किन्तु शान्ति की स्थापना केवल साहसिक व्यक्ति ही कर सकता है। एवं मैं विश्व को एक सुरक्षित स्थान बनाने के लिए हर सम्भव प्रयास करूँगा’’। राष्ट्रपति ट्रम्प आपने सही कहा है कि ‘‘अतीत के आधार पर, भविष्य निर्धारित करना जरूरी नहीं है... दुश्मन भी दोस्त बन सकते हैं’’।

26. यह मानवता के इतिहास में एक बहुत ही दुर्लभ एवं अभूतपूर्व कार्य था, जो पहले कभी ना तो देखा और ना ही सुना गया था। आपने ऐसा अकल्पनीय और साहसिक कार्य किया है। आपने सदियों से चली आ रही कट्टर दुश्मनी वाले देश को क्षमा करते हुए उसको गले से लगा लिया और विश्व को विश्व युद्ध की विभीषका से बचा लिया।

27. एक शत्रु देश के नेता को गले लगाना बहुत साहस और दृढ़ इच्छा शक्ति का कार्य है और यह घोषित करना कि आप उसके साथ ‘‘एक विशेष सम्बन्ध रखते हैं’’। 12 जून 2018 को हुए इस ऐतिहासिक सिंगापुर शिखर सम्मेलन में आपने उत्तरी कोरिया के राष्ट्राध्यक्ष किम जोंग-उन से हाथ मिलाकर दुश्मनी को दोस्ती में बदल दिया।

28. आपके द्वारा उत्तरी कोरिया को परमाणु निरस्तीकरण की तरफ ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित किया गया है जो कि इतिहास में पहले कभी भी किसी ने सोचा नहीं था।

29. लीग आॅफ नेशन्स, संयुक्त राष्ट्र संघ व यूरोपीय यूनियन के सदस्य समप्रभुत्व देश थे जिन्होंने मिल जुलकर सर्वोच्च अन्तर्राष्ट्रीय संस्थायें स्थापित कीं। श्रीमान् राष्ट्रपति जी अब वह समय आ गया है कि आप विश्व के इन देशों को आमन्त्रित करें और एक वैश्विक प्रजातन्त्र (विश्व संसद) का गठन करें।

30. श्रीमान राष्ट्रपति, आप ही ने कहा था मैं वह राष्ट्रपति हूँ जिसे मालूम है कि कार्य को कैसे आगे बढ़ाया जाये। मेरे विचार में (संसार में) मैं बहुत लोकप्रिय बनूँगा।

31. जैसी आपने भविष्यवाणी की थी, यदि आप अमरीकी राष्ट्रपति श्री वुडरो विल्सन और श्री फ्रैकलिन डी रूजवेल्ट की भांति, समप्रभुत्व देशों की एक बैठक बुलाते हैं और विश्व का नेतृत्व करते हैं कि एक वैश्विक प्रजातन्त्र (विश्व संसद) का निर्माण हो, तो विश्व के 7.5 बिलियन लोगों के बीच, जो विश्व एकता व विश्व शान्ति के लिए उम्मीद लगाये बैठे हैं, आप बेहद लोकप्रिय बन जायेंगे।

32. क्योंकि आप अपने देश के एक महान नेता हैं और विश्व के लोगों की भी जिम्मेदारी अपने ऊपर समझते हैं तो हमारा मानना है कि समय रहते हुए आप विश्व से समप्रभुत्व देशों की एक बैठक बुलायेंगे जो एक प्रजातान्त्रिक विश्व एकता का मंच होगा। आप न केवल विश्व के सर्वाधिक प्रभावशाली देश के राष्ट्रपति हैं अपितु पूरे विश्व के बच्चों के रक्षक भी हैं।

कुछ दिव्य भविष्यवाणियाँ:

बहाउल्लाह ईश्वर के नवीनतम दूत और बहाई विश्वास के संस्थापक हैं जिन्होंने लगभग 200 साल पहले घोषणा की थी कि मानवता के एकीकरण का समय आ गया है। लियो टाल्स्टाय ने एक बार उनके बारे में कहा था, ‘‘हम अपने जीवन को ब्रह्मांड के रहस्य को खोलने की कोशिश में बिताते हैं, लेकिन अक्का, फिलिस्तीन में एक तुर्की कैदी, बहाउल्लाह था, जिसके पास चाबी थी!’’

33. 200 वर्ष पूर्व, बहाई धर्म के संस्थापक बहाउल्लाह ने कहा केवल अपने बारे में व अपने निजी कार्य के बारे में न सोचो। उन विषयों में अपना ध्यान लगाओ जिससे मानवजाति के जीवन में परिवर्तन आये, और जो मनुष्यों व आत्माओं को पवित्र करें। बहाउल्लाह ने कहा हैः ‘‘पृथ्वी एक देश है और मानवजाति इसके नागरिक।‘‘ आदरणीय राष्ट्रपति ट्रम्प, आप सम्पूर्ण विश्व को एक ही देश बना सकते हैं और इसका रास्ता है ग्लोबल डेमोक्रेसी (विश्व संसद) व सभी वैश्विक प्रजातन्त्र के लिए शान्ति, समृद्धि, प्रसन्नता और सुरक्षा प्रदान करें।

34. अब्दुल बहा ने अपने पिता बहाउल्ला जो कि इस युग के अवतार माने जाते हैं और जिन्हांेने 200 वर्ष पूर्व बहाई धर्म की स्थापना की थी, ने अपने पिता की ओर से अमेरिका के बारे में की गई घोषणा और उसके योगदान के विषय में कहा था:

35. ‘‘यह अमरीकी प्रजातन्त्र प्रथम देश होगा जो अन्तर्राष्ट्रीय समझौते की नींव रखेगा। यह पहला देश होगा जो मानवता की एकता की घोषणा करेगा। यह पहला देश होगा जो सबसे बड़ी शान्ति का झण्डा फहरायेगा।’’

और फिर, ‘‘अमरीकी लोग वास्तव में योग्य हैं और वे इस बड़ी शान्ति की इमारत का निर्माण करें और मानव मात्र की एकता का ऐलान करें: क्योंकि अमेरिका ने अपने अन्दर ऐसी क्षमतायें और शक्ति विकसित कर ली हैं जो अन्य देशों से अधिक महान है... अमेरिका देश सशक्त है और शक्तिशाली है कि वह बड़ी बड़ी उपलब्धियाँ प्राप्त कर सकता है जिससे उसका नाम इतिहास के पन्नों पर लिखा जाये और वह विश्व का प्रेरणा स्रोत बनेगा और अपने लोगांे की जीत के लिए पूर्व और पश्चिम दोनों दिशाओं में उसकी ख्याति फैलेगी... अमरीकी महाद्वीप इस बड़ी उन्नति के लिए चिन्ह् और प्रमाण प्रकट करता है। उसका भविष्य और भी उज्जवल है, क्योंकि उसका प्रभाव और प्रकाश दूर-दूर तक फैल रहा है। वह सभी देशों का आध्यात्मिक और राजनीतिक क्षेत्र में उनका नेतृत्व करेगा।’’

36. वह समय आ गया है। वह समय आ गया है। अब वह समय आ गया है श्रीमान राष्ट्रपति ट्रम्प कि आप विश्व को एकता के सूत्र में पिरो दें।

37. अब्दुल बहा ने कहा है कि ‘‘सच्ची सभ्यता विश्व के दिलों में अपनी छाप छोड़ेगी। जब कुछ उच्च सोच वाले प्रबुद्ध विश्व के महान शासक - दृढ़ निश्चय और श्रद्धा के चमकते उदाहरण - सारी मानवजाति के कल्याण और प्रसन्नता के लिए, उठेंगे और विश्वव्यापी शान्ति स्थापित करने का दृढ निश्चय और स्पष्ट दृष्टिकोण होगा। वे इस शान्ति के लिए सबसे सलाह करेंगे, और विश्व के सारे देशों की एकता को स्थापित करने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा देंगे।

उनको एक जोड़ने वाला समझौता करना होगा, उनको एक संगठन बनाना होगा जिसके प्रावधान स्थायी, ठोस और अटल होंगे। उनको सारे विश्व में घोषित करना होगा और इसमें पूरी मानवजाति का समर्थन होगा। यह उच्चतम और महान कार्य - जिससे विश्व में शान्ति और पूरे विश्व का कल्याण होगा - धरती के सभी निवासियों द्वारा एक पवित्र कार्य माना जाना चाहिए।

इस महान संगठन की स्थापना और इसको स्थायित्व देने के लिए मानवता की सभी शक्तियों को गतिमान कर देना चाहिए। इस सम्पूर्ण मानवजाति को एक करने के कार्य में प्रत्येक देश की सीमा स्पष्ट रूप से निर्धारित होनी चाहिए, सभी सरकारों के सम्बन्धों के सिद्धान्त स्पष्ट होने चाहिए, व सभी अन्तर्राष्ट्रीय समझौते और उत्तरदायित्व सुनिश्चित किये जाने चाहिए।’’

37. अब्दुल बहा ने कहा है कि ‘‘सच्ची सभ्यता विश्व के दिलों में अपनी छाप छोड़ेगी। जब कुछ उच्च सोच वाले प्रबुद्ध विश्व के महान शासक - दृढ़ निश्चय और श्रद्धा के चमकते उदाहरण - सारी मानवजाति के कल्याण और प्रसन्नता के लिए, उठेंगे और विश्वव्यापी शान्ति स्थापित करने का दृढ निश्चय और स्पष्ट दृष्टिकोण होगा। वे इस शान्ति के लिए सबसे सलाह करेंगे, और विश्व के सारे देशों की एकता को स्थापित करने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा देंगे।

38. बहाई धर्म के संरक्षक शोगी एफेन्डी ने कहा है ‘‘एक विश्व संघीय प्रणाली, सम्पूर्ण धरती को शासित करेगी और इसमें पूरब व पश्चिम के आदर्शों को लेते हुए युद्धों से दूर व इसमें होने वाले दुखों से रहित, संसार के संसाधनों का संरक्षण करेगा व एक ही ईश्वर को समर्पित होगा और इसका एक ही लक्ष्य जिसकी मानवता बढ़ रही है।’’

39. एक विश्व, जो परिपक्वता की ओर बढ़ रहा है, उसे मानवीय एकता को मानना होगा व एक बार ऐसा ढाँचा तैयार करना होगा जो यह मूल सिद्धान्त अपना लें। इतिहास में पहली बार, यह सम्भव हुआ है कि हम सम्पूर्ण ग्रह को एक करके देखें जिसमें विभिन्नतायें व अनेकता होते हुए भी सब एक हांे।

40. आप विश्व एकता स्थापित करेंगे और आपको सम्पूर्ण मानवता का आशीर्वाद मिलेगा जब आप विश्व के नेताओं की बैठक बुलायेंगे। विश्व के 2.5 बिलियन बच्चों व आगे आने वाली पीढ़ियों की ओर से सम्पूर्ण मानव जाति आपकी ओर बहुत ही उम्मीद के साथ देख रही हैं कि आप वैश्विक प्रजातंत्र (विश्व संसद) के निर्माण के लिए 2019 में विश्व के नेताओं व राष्ट्राध्यक्षों की एक बैठक बुलायेंगे।

41. आने वाले अठारह महीने दुनिया के लिए सबसे महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि आप एकमात्र ऐसे विश्व नेता हैं जो भविष्य को बदल सकते हैं। हमें उम्मीद है कि आप महानता का चयन करेंगे और विश्व नेताओं की बैठक बुलाएंगे।

ईश्वर आप पर कृपा करें!

भवदीय

(डाॅ जगदीश गाँधी)

संस्थापक-प्रबंधक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ।

विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के संयोजक एवं

विश्व के 2.5 बिलियन बच्चों के स्व-नियुक्त अभिभावक

12 स्टेशन रोड, लखनऊ, उत्तर प्रदेश (भारत)।