MONTHLY BULLETIN OF CITY MONTESSORI SCHOOL, LUCKNOW, INDIA

Personality Development

CMS creates a better future for all children by maximising
their opportunities through quality education and initiatives for unity and development.

April 2018

‘‘नया शैक्षिक सत्र चरित्र निर्माण का वर्ष हो’’

- डाॅ. जगदीश गाँधी, संस्थापक-प्रबन्धक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ

(1) ‘‘नया शैक्षिक सत्र चरित्र निर्माण का वर्ष हो’’:-

आज समाज में चारों तरफ शैतानी सभ्यता बढ़ती ही जा रही है। चारित्रिकता, नैतिकता, कानून का सम्मान व जीवन मूल्यों की शिक्षा के अभाव में कुछ लोग आज राह भटक गये हैं, यही कारण है कि समाज में आये दिन महिलाओं के प्रति बढ़ते वीभत्स अपराध, चोरी, हत्या, बलात्कार, भ्रष्टाचार आदि जैसी घटनाएं पढ़ने-सुनने को मिल रही है। आज की इस विषम सामाजिक परिस्थितियों में हमारी बाल एवं युवा पीढ़ियांे, विशेषकर लड़कियों का भविष्य असुरक्षित होता चला जा रहा है। यह अत्यन्त ही दुःखदायी एवं सोचनीय विषय बन गया है। वास्तव में हम जो कुछ भी हैं सदाचारी-दुराचारी, हिंसक-अहिंसक, सुखी-दुःखी, सफल-असफल, शांत-अशांत, आस्तिक-नास्तिक, अच्छे-बुरे आदि सब कुछ हमारे विचारों के कारण से हैं। हमारे जीवन में ‘मन’ एक खेत की तरह है तथा ‘विचार’ बीज की तरह हैं। जीवन व चित्त रूपी भूमि में हम परिवार, विद्यालय तथा समाज के वातावरण के द्वारा बालक के मन में जैसे विचारों का बीजारोपण करते हैं वैसे ही विचारों, चरित्र और आचरण का बालक बन जाता है। हमारा मानना है कि बच्चों में बाल्यावस्था से ही चारित्रिक गुणों को विकसित करने के लिए पूरे वर्ष को चरित्र निर्माण के वर्ष के रूप में मनाना चाहिए।

(2) बच्चों को भौतिक के साथ ही सामाजिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा भी दें :-

हमारा मानना है कि मनुष्य एक (1) भौतिक (2) सामाजिक तथा (3) आध्यात्मिक प्राणी है। जब से परमात्मा ने यह सृष्टि और मानव प्राणी बनाये तब से परमात्मा ने उसे उसकी तीन वास्तविकताओं भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक के साथ उसे एक संतुलित प्राणी के रूप में निर्मित किया है। इस प्रकार परमात्मा ने मनुष्य को भौतिक प्राणी बनाने के साथ ही साथ उसे सामाजिक एवं आध्यात्मिक प्राणी भी बनाया है। अतः परिवारों और विद्यालयों के द्वारा बालकों को भौतिक, मानवीय एवं आध्यात्मिक अर्थात् तीनों प्रकार की शिक्षाओं का संतुलित ज्ञान कराना चाहिए। किन्तु यदि विद्यालय बालक को तीनों प्रकार की संतुलित शिक्षा देने के बजाय केवल भौतिक शिक्षा अर्थात् केवल अंग्रेंजी, भूगोल, गणित और विज्ञान की शिक्षा देने तक ही अपने को सीमित कर ले और उसे मानवीय, सामाजिक और आध्यात्मिक ज्ञान न दे तब बालक का केवल एकांगी विकास ही हो पाएगा और संतुलित विकास के अभाव में बालक निपट भौतिक और असंतुलित व्यक्ति के रूप में विकसित हो जाएगा और वह अपने परिवार व समाज के लिए उपयोगी नागरिक नहीं बन पायेगा।

(3) परिवार, विद्यालय तथा समाज से मिली शिक्षा ही मनुष्य का चरित्र निर्मित करते है :-

मनुष्य के तीन चरित्र होते है। पहला चरित्र प्रभु प्रदत्त, दूसरा माता-पिता के जीन्स वंशानुकूल से प्राप्त चरित्र तथा तीसरा परिवार, स्कूल तथा समाज से मिले वातावरण से विकसित या अर्जित चरित्र। इसमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण चरित्र तीसरा अर्थात् ‘अर्जित चरित्र’ होता है। इस अर्जित चरित्र का निर्माण बालक को परिवार, विद्यालय व समाज में मिलें गुण व अवगुण पर निर्भर करता है। उसे जिस प्रकार की शिक्षा परिवार, विद्यालय तथा समाज से मिलती है वैसा ही उसका चरित्र निर्मित हो जाता है। वास्तव में मानव और मानव जाति का भविष्य इन्हीं तीन क्लास रूमों (1) परिवार (2) विद्यालय तथा (3) समाज में ही गढ़ा जाता है। आज संसार में बढ़ते अमानवीय कृत्य जैसे हत्या, बलात्कार, चोरी, भ्रष्टाचार, अन्याय आदि शैतानी सभ्यता इन्ही तीनों क्लासरूमों से मिले उद्देश्यविहीन शिक्षा के कारण है। अतः अभिभावक और शिक्षकों द्वारा घर और विद्यालयों में प्रेरणादायी वातावरण बनाने के लिये अपने व्यवहार के द्वारा प्रत्येक बालक को सामाजिक परिवर्तन का स्वप्रेरित माध्यम बनाना चाहिये। इसके लिए विद्यालयों को समाज के प्रकाश का केन्द्र तथा टीचर्स तथा अभिभावकों को बच्चों का मार्गदर्शक, चरित्र निर्माता तथा ईश्वरीय शिक्षाओं का संदेश वाहक बनना चाहिए।

(4) बच्चों को संवेदनशील बनाते हुए उसमें ईश्वर भक्ति बढ़ायें :-

जब कोई बच्चा इस पृथ्वी पर जन्म लेता है उस समय उसके मन-मस्तिष्क एवं हृदय पूरी तरह से पवित्र, शुद्ध एवं दयालु होता है किन्तु कालान्तर में वह बालक परिवार में रहते हुए जैसा देखता व सुनता है, स्कूल में जैसी उसे शिक्षा दी जाती है तथा समाज में रहते हुए लोगों का जैसा अच्छा या बुरा व्यवहार देखता है वैसा ही अच्छे या बुरे चरित्र का वह बन जाता है। इसलिए इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए घर, स्कूल तथा समाज तीनों को ही प्रयास करके प्रत्येक बच्चे में संवेदनशीलता, नैतिकता, चारित्रिकता तथा ईश्वर भक्ति के गुणों को बाल्यावस्था से बढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही समाज में बढ़ते हुए अपराधों के लिए सिनेमा घरों, व टी.वी. चैनल्स में दिखाई जाने वाली गंदी फिल्मों, इन्टरनेट पर उपलब्ध अश्लील साइटों, समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित होने वाले नकारात्मक समाचारों, प्रकाशित अश्लील विज्ञापनों व फोटो पर रोक लगाने के लिए सरकार को तत्काल साइवर लाॅ जैसे प्रभावशाली कानूनों से अपनी कानून व्यवस्था को लैस करना चाहिए।

(5) सारे देश में कानून का राज स्थापित करें :-

समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए हमें जहां एक ओर कठोर से कठोर कानून को अपने देश में लागू करना चाहिए वहीं दूसरी ओर इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि देश की ‘संसद’ या राज्य की ‘विधान सभाओं’ के माध्यम से बनाये गये कानूनों का पालन सही ढंग से हो भी रहा है या नहीं? देश की संसद में बनने वाले कानूनों को ठीक ढंग से लागू करवाने वाली संस्था में बैठे हुए जिम्मेदार लोग यदि सच्चे मन से इन कानूनों को लागू करने/करवाने लग जायेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब सारे देश में कानून का राज स्थापित हो जायेगा और इस प्रकार के जघन्य अपराध होने बंद हो जायेंगे। इसलिए हमारा मानना है कि इन्सान के अच्छे-बुरे विचार ही उसके कर्म को प्रेरित करते हैं।

(6) भावी पीढ़ी में जीवन-मूल्यों, चारित्रिक उत्कृष्टता व नैतिक विचारों का समावेश करें :-

समाज को चरित्रहीनता रूपी विनाश से बचाने के लिए स्कूल का सबसे अधिक उत्तरदायित्व है। स्कूल अपने इस उत्तरदायित्व की अब उपेक्षा नहीं कर सकता। हमने समाज रूपी खेत में जैसे बीज बोये हैं तथा जैसा खाद-पानी दिया है, आज वैसी ही फसल चारों ओर लहलहा रही है। इसलिए देश के सभी शिक्षकों, अभिभावकों व माता-पिता को चाहिए कि वे भावी पीढ़ी में जीवन मूल्यों, चारित्रिक उत्कृष्टता व नैतिक विचारों का समावेश करें। विडम्बना यह है कि आज हम अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा कर किताबी ज्ञान तो भरपूर दे रहे हैं परन्तु मानवीय मूल्यों की उपेक्षा कर रहे हैं। अतः परिणाम सबके सामने है, ऐसे में बुरे विचारों की रोकथाम अच्छे विचारों के प्रचार-प्रसार से ही हो सकती है। अर्थात अन्धकार को क्यों धिक्कारे अच्छा है एक दीप जलाये। प्रकाश का अभाव ही अन्धकार है। यदि अब भी हम न सम्भले तो फिर बहुत देर हो जायेगी।

(7) भावी पीढ़ी में चारित्रिक उत्कृष्टता का अलख जगाने हेतु संकल्पित हों :-

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि -‘सच्ची शिक्षा वह है जिसे पाकर मनुष्य अपने शरीर, मन और आत्मा के उत्तम गुणों का सर्वागीण विकास कर सकें, उसे प्रकाश में ला सकें।’ प्रत्येक बालक की आत्मा जन्म से ही पवित्र और अकलुषित होती है। शुद्ध, दयालु तथा ईश्वरीय प्रकाश से प्रकाशित होने के कारण बालक जन्म के समय से ही परमात्मा के अनन्त साम्राज्य का मालिक होता है। किन्तु परिवार, स्कूल तथा समाज अज्ञानतावश बालक में जन्म से निहित इन तीन ईश्वरीय गुणों को निखारने-संवारने पर महत्व नहीं देते हैं। देश में घटित रेप, हत्या, लूटपाट जैसी दुर्घटनायें समाज के प्रत्येक नागरिक को झकझोरती व आंदोलित करती हंै और साथ ही यह सोचने के लिए भी मजबूर करती हंै कि आखिर कब तक हम ऐसी घटनाओं को सहन करते रहेंगे। इसके लिए अभी से सचेत होना होगा और भावी पीढ़ी में बाल्यावस्था से ही चारित्रिक उत्कृष्टता को विकसित करने हेतु संकल्पित होना होगा, तभी समाज में फैली हुई इन बुराइयों पर रोक संभव है।

(8) निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण ना भूले :-

आइये, विद्यालय के साथ मिलकर परिवार व समाज के सभी लोग संकल्प करें कि नव वर्ष चरित्र निर्माण का वर्ष हो। एक बहुत ही प्रेरणादायी गीत है - निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण ना भूले। स्वार्थ साधना की आँधी में वसुधा का कल्याण ना भूलें।। शील विनय आदर्श श्रेष्ठता तार बिना झंकार नहीं है, शिक्षा क्या स्वर साध सकेगा यदि नैतिक आधार नहीं है। कीर्ति कौमुदी की गरिमा संस्कृति का सम्मान न भूले, निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें।

Roshan Gandhi Forouhi
Director of Strategy, CMS

Message from
Mr Roshan Gandhi Director of Strategy, CMS

I am sure everyone is looking forward very much to the summer break – a time for well-earned enjoyment, rest, and relaxation. In my message for the previous Bulletin, I discussed the importance of setting personal self-improvement and skill development goals outside the classroom, and I had proposed making reading-related targets. The summer break is a perfect period to spend time reading, and I would like to discuss some of the innumerable advantages of this.

It goes without saying that reading increases your knowledge, but in the modern world skills are more coveted and important than pure knowledge on its own. It is therefore important to note that reading provides a foundation for a variety of forms of skill development. Your analytical thinking skills will be well served by reading widely. Consider all the elements your mind processes when engaging with a piece of literature: you predict the plot as it moves along; you immerse yourself in the development of characters and their relatability as a reflection of the reality of aspects of human nature; you critique the work and form your own opinion on its quality; and you may even get to express and debate those opinions with others. All of this builds analytical and critical thinking skills – the immense value of which you may only fully appreciate after you invest in acquiring them.

Apart from this, some basic mental skills – such as memory and concentration – are significantly enhanced by reading. Linguistic skills are also firmly grounded in reading. Articulate communication and the art of expression is developed through reading. When it comes to vocabulary, reading not only expands your mental lexicon but also improves your ability to deploy it. And no one can be a great writer without first being a great reader!

Most importantly, you will encounter the joy of reading. When you experience the pleasure of relaxing with a book that you cannot put down, you will never look back. I do hope you will utilise the summer break as an opportunity to develop or build upon a reading habit, both for pleasure and skill enhancement.

Careers Day At CMS

Organised by - CMS Career Counselling Cell
Chief Guest, Dr Vikram Singh, Pro-Chancellor, Noida International University, motivating the
Mentors, guides and experts at the Careers Day Fair with the Chief Guest Dr Vikram Singh, Pro-Chancellor, Noida International University

At this Careers Day, domain experts, academicians, counsellors, psychologists and opinion leaders guided the students with their meaningful speeches. Apart from this, various innovative and interactive activities like panel discussions, talk shows, expert talks etc were held for the benefit of the students. Students seeking options in 'Careers Day' gathered various information about several career options such as Accounting, Advertising, Airhostess/Flight-Pursers, Animation, Architecture; BMS, BMM, Call Centre Training, Catering and Hotel Management, Company Secretary, Chartered Accountancy, Civil Services, Cracking IIT-JEE, Engineering, Event Management, Fashion Designing, Finance and Banking, IT Hardware/Software, Law Entrance, Management Courses, SAT/AP, Medical Courses, Merchant Navy, Multimedia, Post Graduate Programmes, Scholarships, Study Loans, Study Abroad, Travel and Tourism, Undergraduate Programmes, Radio Jockeying etc.

The significant aspect of the 'Careers Day' was the presence of world class experts to guide students, teachers and parents. These included Dr Dheeraj Sanghi, Senior Professor, Computer Science, IIT Kanpur; Prof. Shirin Abbas, Bureau Chief (India), The Indian Observer, American News Portal; Mr Saurabh Singh, CA, ICAI, Lucknow; Mr Sandeep Kumar Rapra, Office In-Charge, ICSI Lucknow Chapter; Mr Manish Tripathi, Fashion Designer; Brig. Harish Garg, Bridge Education, HQCC Central Command; Ms Urmila, Flight Lieutenant; Mrs Rupali Bakshi, Jr. Manager, Anglo Eastern Ship Management; Mr Gaurav Chicker, Director, Manya Abroad, Lucknow; Mr Nadeem Ahmad Khan, Director, Institute of European Languages, Lucknow; Ms Shibani Mukherjee, Regional Advisor-India, University of Leeds; Mr Devesh Anand, Country Advisor, University of Bristol; Ms Nilanjana Shihn, Country Advisor, Trinity College Dublin; Ms Supriya Samson, Senior International Officer, University College Dublin; Mrs Shipra Anand, Founder Director, Academy for Fashion Careers; Mr Samanvya Dhar Dwivedi, Advocate; Ms Heena Jethanandani, Senior Manager, Outreach, Ashoka University Liberal Arts & Humanities; Gp. Capt. Prafulla Chandra, Aviation Career Counsellor, Indian Air Force; Prof. R. Ravishankar, Nodal Officer, Advanced Platform for Research, Innovation & Translation (AMRIT); RJ Vipul Gaur, Radio Jockey, Radio Mirchi; Mr Raman Sharma, Director MAAC Lucknow; Ms Preeti Kalra, Senior Staff Officer to Management; Mr Vikas Chaddha; Mr Rituraj Juneja, Director - Enrollments, UPES & Energy Studies etc.